बहुत कम लोग इस बात से इनकार करेंगे कि यीशु मसीह एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं। मानव जाति पर यीशु का जो प्रभाव था और आज भी है वह नायाब है। पूरी पश्चिमी डेटिंग प्रणाली यीशु मसीह की ऐतिहासिक वास्तविकता की गवाही देती है जिसकी वजह से हर युग में रहने वाले लोगों ने यीशु के बारे में सुना और पढ़ा है। परन्तु कौन था यह व्यक्ति वास्तव में और क्या महत्त्व था उसके जीवन और मृत्यु का ? क्या वह सिर्फ एक महान धार्मिक शिक्षक था या और भी बहुत कुछ है उसके व्यक्तित्व के बारे में जो हमें पता होना चाहिए ?
कई लोग इस बात को स्वीकार करते हैं कि यीशु मसीह एक अच्छे इंसान, महान शिक्षक, और यहां तक कि परमेश्वर के दूत (नबी/पैग़म्बर) थे। यीशु के बारे में ये सारी बातें निश्चित रूप से सही हैं लेकिन वे लोग पूरी तरह से परिभाषित नहीं कर पाते हैं कि यीशु मसीह सही मायने में कौन हैं ? बाइबल हमें बताती है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है और मनुष्य के शरीर में ख़ुद परमेश्वर है। परमेश्वर धरती पर ख़ुद आया हमें सिखाने. हमें चंगा करने, हमारी ग़लतियाँ सुधारने, हमारे पापों के लिए हमें क्षमा करने और अपनी जान की क़ुरबानी देने के लिए। यीशु मसीह भगवान है, संपूर्ण जगत का निर्माता है, वह हमारा प्रभु है। परमेश्वर के पुत्र को परमेश्वर और उसके लोगों के बीच खड़ी हो गई दीवार को नष्ट करने के लिए पृथ्वी पर भेजा गया था। उसने पृथ्वी पर एक बहुत ही सरल और निष्पाप जीवन जिया। मनुष्य के शरीर में होते हुए भी न कभी कोई कलंक और न ही कोई कुकर्म। उसने अपना सारा समय सिर्फ अपने लोगों के जीवन को बदलने के लिए समर्पित किया।
अपने जीवनकाल के केवल 33 वर्षों में उसने दुनिया को बदल दिया, और इस धरती पर कोई भी कभी भी यीशु मसीह जितना प्रभाव नहीं डाल सका। यह यीशु की धरती है, उसका गृह और उसका ब्रह्माण्ड है। यीशु की मौत के 2000 साल बाद भी शैतान उसके नाम से काँपता है। बुरी शक्तियां उसके नाम से थरथराने लगती हैं। इतिहास में न कोई ऐसा नाम था और न ही कभी होगा जिसमें यीशु के नाम जितनी शक्ति हो।