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क्या हमें यीशु को नज़रअंदाज़ करना चाहिए?

क्या हमें यीशु को नज़रअंदाज़ करना चाहिए - Online Hindi Bible Teaching - All about Christianity in Hindi

मत्ती 6:20 – बल्कि अपने लिये स्वर्ग में भण्डार भरो जहाँ उसे कीड़े या ज़ंग नष्ट नहीं कर पाते। और चोर भी वहाँ सेंध लगा कर उसे चुरा नहीं पाते।

मसीही होने का मतलब यीशु की शिक्षाओं का पालन करना है ना कि अपने आप को मसीही बुलाना केवल इस वजह से कि आप एक मसीही परिवार में पैदा हुए थे। हम सांसारिक संबंधों और विलासिता के इतने आदी हो जाते हैं कि मुक्ति की ज़रूरत के बारे में भूल ही जाते हैं। हमारा उद्धार केवल यीशु मसीह के माध्यम से ही संभव है। उसके ख़ून की कीमत पर हमें अपने पापों से मुक्ति मिली। फिर भी हम अस्थायी रिश्तों और सांसारिक चीजों के लिए यीशु की उपेक्षा करते हैं। यह रिश्ते, अस्थायी चमक दमक, रंग और धन केवल भ्रम हैं, अनन्त जीवन का हिस्सा नहीं। प्रिय भाइयों और बहनों; अपने आपको मसीह में मज़बूत बनाइये। वह हमारी चट्टान और उद्धारकर्ता है। इस अस्थायी दुनिया के लिए उसे अस्वीकार और नज़रअंदाज़ न कीजिये। यीशु की तरफ केवल एक कदम बढ़ाइए और आप की तरफ आने का बाकी का रास्ता वह ख़ुद पूरा कर लेगा। वह आपको अपने पंखों के नीचे छुपा कर आपकी रक्षा करेगा। आमीन।