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पाकिस्तान में मसीही समुदाय – अधिकार, सम्मान और गरिमा के लिए लड़ाई

श्री शहबाज़ गुलज़ार, एक पाकिस्तानी मसीही मानवाधिकार कार्यकर्ता इस वीडियो के माध्यम से हमारे साथ अपने अनुभव को बाँट रहे हैं कि कैसे पाकिस्तान में मसीही अन्याय और क्रूरता का शिकार हो रहे हैं। ख़ास तौर पर ईशनिंदा कानून के कारण जो जनरल ज़िया उल हक द्वारा पारित और लागू किया गया था। पाकिस्तान के मुसलमान बहुत आसानी से इस कानून का दुरूपयोग कर के इस समुदाय को परेशान कर सकते हैं और वास्तविकता में ऐसा करते भी हैं। निजी हितों, ईर्ष्या, पैसे के मामलों, या संपत्ति के मुद्दों के कारण मुसलमान अक्सर मसीहियों पर ईशनिंदा का आरोप लगा कर उनका जीवन तबाह कर देते हैं।

ईशनिंदा का क्या मतलब है? इस का मतलब है कुरान या पैग़म्बर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करना। तथ्यों की पुष्टि किये बिना मुसलमान हिंसक हो कर आरोपी के परिवार को मारना शुरू कर देते हैं, वे पूरी मसीही कालोनियों को जलाना और तबाह करना शुरू कर देते हैं। एक मसीही के ख़िलाफ़ ईशनिंदा का झूठा आरोप उस पूरे क्षेत्र के मसीहियों के लिए नर्क साबित होता है। इस तरह के मामलों में गिरजाघर भी डर की वजह से मदद नहीं करते हैं और न ही बचाव में आगे आते हैं, और न ही पुलिस और सरकार मसीही समुदाय की सुरक्षा के लिए उचित कार्रवाई करती हैं।